एक पंक्ति में कवि ने यह कहकर अपने अस्तित्व को नकारा है कि ‘‘हम दीवानों की क्या हस्ती, हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले।’’ दूसरी पंक्ति में उसने यह कह कर अपने अस्तित्व को महत्व दिया है कि ‘‘मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले।’’ यह फाकामस्ती का उदाहरण है। अभाव में भी खुश रहना फाकामस्ती कही जाती है। कविता में इस प्रकार की अन्य पंक्तियाँ भी हैं। उन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और अनुमान लगाइए कि कविता में परस्पर विरोधी बातें क्यों की गई हैं।
कविता में परस्पर विरोध प्रकट करने वाली पंक्तियाँ निम्नलिखित हैं।
(क) आए बनकर उल्लास अभी,
आँसू बनकर बह चले अभी।
(उल्लास और आँसू साथ-साथ)
(ख) जग से उसका कुछ लिए चले,
जग को अपना कुछ दिए चले,
(कुछ लेना और कुछ देना एक साथ)
(ग) दो बात कही, दो बात सुनी,
कुछ हँसे और फिर कुछ रोए।
(हँसना व रोना एक साथ)
कविता में परस्पर विरोधी बातें कहकर कवि अपने जीवन में बनाए गए नियमों को उजागर कर रहा है। वह पूरी तरह से स्वतंत्र है और अपने नियम खुद बनाता और तोड़ता है। वह अपने तरीके से जीवन जीना पसंद करता है। उसे अपने जीवन का लक्ष्य सबसे प्यारा है। हालांकि कवि के मन में दूसरों के लिए प्यार बहुत है।